गिनीज़ बुक में नाम दर्ज करने की इच्छा
कहा जाता है कि कोई इंसान अगर कुछ करने की ठान ले तो उसे भगवन भी नहीं रोक सकता। ऐसा ही कुछ ग्वालियर में देखने को मिला। यहाँ एक ऐसे राम भक्त अमूल्य रत्न कम्ठान है जिन्होंने संपूर्ण रामायण राम नाम से लिखी है, इतना ही नही रामचरित मानस से सम्बंधित राम दरबार और उसके सभी चित्रों को भी उन्होंने राम नाम से अंकित किया है। प्रदेश में क्या सम्पूर्ण देश में यह उनकी सबसे अनूठी उपलब्धि है और उनकी दिली इच्छा है की उनकी से अनोखी रामायण गिनीज़ बुक में दर्ज हो......
१४ वर्ष लगे रामायण लिखने में
यूँ तो पिछले २२ वर्षों से अमूल्य रत्न कम्ठान इस प्रकार के ग्रन्थ लिखते आ रहे है लेकिन लगभग १४०० प्रष्टों की इस अनोखी रामायण को लिखने में उन्हें १४ वर्ष का समय लगा। उनका कहना है कि यह रामायण उन्होंने सन १९९६ में लिखना शुरू किया था जो इस वर्ष के अक्टूबर माह में जाकर सम्पूर्ण हुई। वे बताते हैं कि उन्हें ये प्रेरणा उनके पिताजी के कक्ष में लगे एक हनुमान जी के चित्र से मिली जो कि राम नाम से अंकित था। उन्होंने बताया कि सबसे पहले उन्होंने सुन्दरकाण्ड लिखा था उसके बाद उन्हें धीरे-धीरे अनुभव होता गया और यह अनूठी रामायण लिख दी। रामायण से सम्बंधित सभी राम दरबार के चित्रों में भी उन्होने राम नाम अंकित कर दर्शाया हैं।
भगवद गीता लिखना चाहते हैं अब
वे बताते हैं कि इसके बाद वे अब भगवद गीता लिखना चाहते है जो कि ५००० प्रष्टों का होगा, जिसमे वह भगवन कृष्ण कि लीलाओं का वर्णन करना चाहते हैं। वे कहते है कि यदि सरकार की तरफ से कोई आर्थिक मदद मिल जाये तो हमारे लिए अच्छी बात होगी।
परिवार का मिला भरपूर सहयोग
श्री कम्ठान बताते हैं कि इस धार्मिक कार्य में उन्हें उनके परिवार की ओर से हर तरह से सहयोग मिला, उन्होंने बताया कि उनके बच्चो ने उनके इस धार्मिक काम के लिए अलग से एक कमरा किराये पर ले लिया था जिससे उन्हें लिखने उर कोई परेशानी न हो ओर वो एक दिन में लगातार बारह से चौदह घंटे लिखा करते थे।
जन-जन तक पहुचाना है उद्देश्य
७३ वर्षीय कम्ठान जी बताते हैं कि मेरी ये अनोखी रामनामी रामायण जन-जन तक पहुचे और लोगों द्वारा पढ़ी जाये। जैसे तुलसीकृत रामायण पढ़ी जाती है, यही मेरे लिखने का उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि ईश्वर अगर चाहेगा तो जब तक हम जीवित है और हमारे हाथ-पैर चलेंगे तब तक हम लिखते रहेंगे।
देव की दिशा पत्रकारिता
Tuesday, December 07, 2010
Sunday, October 10, 2010
गरीबी कहीं मार न डाले
देश की आबादी का आधे से ज्यादा हिस्सा आज भी गरीबी और भुखमरी से ग्रस्त हैं। आज इस विकसित और तकनीकि युग में बड़ी से बड़ी समस्याओं से निकलने की तकनीकि निकल चुकी है, लेकिन गरीबी जैसी समस्या का हल अभी तक नहीं निकल पाया है। देश की आबादी का आधा हिस्सा आज भी रात को केवल पानी पी कर सोने को मजबूर है। गौरतलब है जो लोग होटल-रेस्तौरेंट में बैठकर पिज्जा, बर्गर खा कर आधा छोड़ कर पेमेंट कर देते है, उन्हें एक नज़र इन भूखो गरीबों पर भी डालनी चाहिए कि ये लोग गरीबी और भुखमरी से किस तरह त्रस्त है। आज भी खून-पसीना बहा कर एक वक़्त कि रोटी ही ये लोग जुटाने वालो की संख्या में कमी नहीं आई है और केंद्र सर्कार महंगाई पर महंगाई करती जा रही है और कोई बताओ इन्हें कि महंगाई से कहीं इन गरीबो की जिंदगी न रक जाये...
Monday, September 27, 2010
जन्माष्टमी पर "लल्ला" रोया
किसी मूर्ति से तरल पदार्थ निकलना आज आम बात हो चुकी है। कुछ समय पहले 'साईं बाबा' की मूर्ति से सफ़ेद तरल पदार्थ निकला था जिसे श्रद्धालुओं ने उनका आशीर्वाद स्वीकार कर प्रसाद के रूप में ग्रहण किया, तो वही जन्माष्टमी के पावन पर्व पर चित्रकूट स्थित श्रीकृष्ण मंदिर में उनकी मूर्ति से तरल पदार्थ निकला। जिसे श्रद्धालुओं ने उनका रोना समझा क्युकी वह तरल पदार्थ उनकी आँखों से जो निकल रहा था। ऐसे में आज जब देश और दुनिया तकनीकी की ओर कदम बढ़ा रहे है तब भी उन लोगो की भक्ति कहे या अंधविश्वास जो कि कृष्ण की प्रतिमा से पानी निकलना उनका रोना समझा जा रहा है। देखा जाए तो श्रद्धालुओं का भगवन का रोना समझा जाना भी सही है, क्योंकि इस कलयुगी भरी दुनिया में हर कोई शख्स रो रहा है चाहे वो गरीब हो या अमीर, तो भगवन भी तो कभी न कभी इंसान का ही रूप थे.....
यातायात पर भारी आवारा पशु
शहर की यातायात व्यवस्था कैसी है ये शायद आपको बताने की जरुरत नहीं है। उस पर आवारा पशु भी अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे। आज शहर के हर इलाके में आवारा पशुओं की बीच रास्ते पर रोजाना मीटिंग होती है जिससे यायात व्यवस्था में बाधाएं आती है। नगर निगम इस समस्या पर कोई ज्यादा जोर नहीं दे रही हैं। जिनका खामियाजा आज ग्वालियो के आम नागरिको को भुगतना पड़ रहा है।
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