Saturday, August 28, 2010

थमने का नाम नहीं ले रहा नक्सलवाद

देश में आतंक को बढ़ावा देने वाला नक्सलवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। कुछ वर्ष पहले की बात करे तो नक्सलियों का इरादा किसी आम नागरिक को नुक्सान पहुचाना नहीं था, वह तो अपने हित के लिए ही सरकार और पोलिसे जवानो के साथ दो हाथ करते थे, लेकिन आज के हालात देखे तो पूरी तरह से पलट चुके हैं। आज नक्सली सिर्फ सरकार को बल्कि आम नागरिकों को भी नुक्सान पहुंचा रहे हैं। अगर नक्सलियों का यही रवैया रहा तो वो दिन दूर नहीं जब भारत सरकार नक्सलवाद को किसी आतंकवाद संगठन या आतंकवादी का रूप देने से भी नहीं चूकेगी।

शिक्षा का आयातिकरण

भारत सरकार ने विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय को भारत में आने के लिए मंजूरी दे दी है। सरकार के इस निर्णय से सिर्फ शिक्षा में बढ़ोतरी होगी बल्कि इसके साथ-साथ जो छात्र विदेशी विश्वविद्यालय की डिग्री हासिल करने के इच्छुक है वह स्वदेश में रहते हुए उन्हें प्राप्त कर सकेंगे। भारत सरकार का ये कदम काफी सराहनीय माना जा रहा है। ये विश्वविद्यालय भारत के विश्वविद्यालयों में शिक्षा की स्थिति और उनके हालातों को भी अच्छा करने में सहायक होंगे। भारत में इनके जाने से इनके साथ साथ स्वदेश का भी नाम आगे आएगा।

Friday, August 13, 2010

आखिर कब पूरा होगा मास्टर प्लान

ग्वालियर में मास्टर बार-बार बनकर उस पर काम शुरू नहीं होता, बल्कि कुछ समय बाद एक और नया मास्टर प्लान सामने आ जाता है। शहरवासी हर बार नए मास्टर प्लान नए मास्टर प्लान के बारे में जान कर अपने ग्वालियर को सुन्दर और अच्छा बनने के सपने देखने लगते है, जिसमे उनकी सारी सुविधाएं सम्मिलित होती है। लेकिन जब वे सपने से बाहर आ कर असली जिंदगी में आते है तो उन्हें केवल निराशा ही हाथ लगती है। तब वह यही कहते होंगे किआखिर कब पूरा होगा मास्टर प्लान।

Tuesday, August 10, 2010

शाही सवारी पर गिरी गाज


यूनियन ने पांच रूटों की मांग की थी, जिसमे में से तीन रूटों को मंजूरी मिली
ग्वालियर की शाही सवारी "तांगा" अब शहर के निर्धारित रूटों पर ही देखने को मिलेंगे। यह बदलाव यातायात सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए किया गया हैं। अब सैलानियों और शौकिया लोग शायद ही इस शाही सवारी का लुत्फ़ उठा सकें।

शहर में तांगा अब प्रशासन द्वारा तय किये गए रूटों पर ही चलेंगे। ये फ़ैसला २७ जुलाई को तांगा यूनियन और प्रशासन के बीच हुई बैठक में लिया गया। दरअसल तांगा यूनियन ने निगम आयुक्त के समक्ष पांच रूटों की मांग की थी, जिसमे से उन्होंने तीन रूटों पर घोडा गाडी दौडाने की स्वीकृति दे दी हैं।

शहर में तांगों की संख्या लगभग दो से ढाई सौ है। तांगा चालक इसी से अपने परिवार का बहार-पोषण करता है। इन तांगा चालको की रोज की कमाई २०० रुपये है, जिसमे से कमाई हुई रकम का आधा हिस्सा घोड़ेके लिए लग जाता है बाकी बचा हुए हिस्से से वो अपने घर का गुजरा करता है, उस पर निगम आयुक्त के इस फैसले से तांगा चालक काफी हताश है। युनुस (तांगा चालक ) का कहना है कि जिन रूटों पर उन्हें तांगा चलने कि स्वीकृति मिली है उन रूटों पर इतनी कमाई नहीं है ऊपर से ऑटो वाहन के आ जाने से उनके व्यवसाय पर काफी असर पड़ा है। उन्होंने बताया कि जिस कीमत पर सवारी को हम चौराहों पर छोड़ते थे उसी कीमत पर ऑटो चालक उन्हें घर के बाहर तक छोड़ देते हैं और वो भी कम समय पर जिससे सवारी तांगे में जाने की बजाये ऑटो में जाना ज्यादा उचित समझती हैं। यूनियन के निर्णय से तांगा चालक केवल संतुष्ट भर है, उन्होंने बताया कि आज भी उनके इस निर्णय पर कार्यवाही जारी है यही कारण है कि इन चालको ने अभी तय किये हुए रूटों पर अपने तांगे नहीं दौड़ाये है। निगम आयुक्त ने बताया कि जिन रूटों पर तांगे चलेंगे उन पर ऑटो चालकोंका घुसना प्रतिबंधित है और यही आदेश तांगा चालकों के लिए भी रहेगा। उन्होंने बताया कि हमने पहले तांगा चालकों को ऑटो चलाने की लिए प्रेरित किया था और उनके लिए ऑटो लॉन भी दिलवाने के लिए भी तैयार थे लेकिन तांगा चालकों ने ऑटो चलाने से इंकार कर दिया।

Monday, August 09, 2010

भू-जल स्थिति पर गहराया संकट

२५ फीसदी छेत्र का जल स्तर ३०० फीट तक पंहुचा
ग्वालियर की भू-जल स्थिति काफी गंभीर बनी हुई है। पश्चिम छेत्र पूर्णतः सूख चूका है तो पूर्व और मुरार छेत्र में ३०० फीट तक पानी नहीं है। कुछ वर्ष पहेल ये स्थिति थी कि जमीन खोदी और पानी निकलना शुरू हो जाता था लेकिन आज स्थिति पूरी तरह से उलट चुकी है। शहर वासियों ने ये कल्पना भी नहीं कि होगी कि उन्हें ऐसे दिन देखने पड़ेंगे जिसके जिम्मेदार और कोई नहीं शहर की जनता खुद हैं।
शासन के कड़े निर्देश के बावजूद वर्षा के पानी को सुरक्षित करने की अहम् योजना "वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम" के क्रियान्वयन पर स्थानीय प्रशासन का कतई ध्यान नहीं हैं और यह योजना यहाँ के नगर निगम की लापरवाही से ठप्प पड़ी हुई है। नए भवनों में ये सिस्टम निर्माण करवाना नगर निगम का काम है परन्तु लगता है नगर निगम इस सिस्टम को लागू कराने से पल्ला झाड लेने का मन बना चुकी है और इसकी जिम्मेदारी पीएचई विभाग को दे दी है। प्रशासन की इस तू-तू मैं-मैं में आम नागरिक पिस रहा है अब देखना यह है कि पानी कि किल्लत से जूझ रहे नगरवासी को प्रशासन कब तक इस संकट से मुक्ति दिला सकेगा।

Friday, August 06, 2010

महंगाई ने मार डाला

केंद्रीय सरकार ने पेट्रोलियम पदार्थों की एकाएक बढ़ोतरी कर सभी को चोका दिया है डीजल, पेट्रोल और रसोई गैस की हाल ही में कीमत बढ़ने पर ग्वालियर में इसकी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। इससे केवल महिलाओं का बजट गड़बड़ाया है बल्कि आम नागरिक भी भरी संकट में गया है।
एक तरफ गृहणियों का कहना है कि एशों-आराम की चीजो की बजाय पेट्रोलियम पदार्थों की बढती कीमतों की वजह से शिक्षा और आम जरूरतों पर अंकुश लगाना पड़ रहा है। वहीँ दूसरी ओर ट्रांसपोर्टर्स का कहना है कि टायरों के रेट बढ़ने के बाद अब डीजल के रेट बढ़ने पर हमारी परेशानी में दुगुना इजाफा हुआ हैं।
अब तो मरना ही हैं
पेट्रोलियम पदार्थ की हुई बढ़त से हम लोगो का घर का बजट पूरी तरह से गड़बड़ा गया है, केंद्रीय सरकार के इस निर्णय से अब हम लोगो तो मरना ही हैं, ये कहना है रेनू बंसल का जो की एक गृहणी है।
इस बढ़त से हमें मजबूरन टेम्पो का किराया-भाडा बढ़ाना पड़ेगा जो हमारे लिए काफी परेशानी खड़ी करने वाला निर्णय होगा। अब क्या करे मजबूरी का नाम महात्मा गाँधी जो है। -युसूफ, टेम्पो चालक
बड़ी बड़ी गाड़ियों और कई टनों सामान उठाने वाले वाहनों के मालिकों का भी यही हाल है। उनका कहना हैं कि केंद्र सरकार के इस कदम ने वास्तव में हमारे लिए परेशानी खड़ी कर दी हैं। पेट्रोलियम पदार्थों की इस प्रकार से बढ़ते दरों से आम नागरिक बहुत ही ज्यादा प्रभावित हुआ है। अब देखना ये है कि आम नागरिक इस परेशानी को कैसे अपने जीवन में उतारता हैं।